मानव शरीर का रहस्य

 जन्म जीवन और मृत्यु चलती ही रहती है जितना इन इस संसार में हमें दिखाई देता है उतना ही इस संसार से लुप्त हो जाता है और उतना ही संसार में आता भी रहता है यह सर्वविदित है पृथ्वी जल और अग्नि और वायु आकाश से निर्मित जीवन आगे चलता ही रहता है पृथ्वी का तत्व है गंध पानी का तत्व है रस और वायु का तत्व है स्पर्श अग्नि का तत्व है रूप और आकाश का तत्व है शब्द मनुष्य इन सब चीजों का तो अनुभव करता ही है मन बुद्धि और अहंकार भी  इस में सम्मिलित है पांच ज्ञानेंद्रियां और पांच कर्मेंद्रियों इस संसार में कर्म और ज्ञान की हमें प्रेरणा देती हैं मनुष्य नव द्वार रूपी इस जीवन का अनुभव करता है अर्थात काम क्रोध लोभ मोह अहंकार के साथ ही मनुष्य शरीर का कफ वायु और पित्त से भी ग्रसित होता रहता है।